बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 (Bihar Economic survey 2022-23) Bpsc PDF Download परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण नोट्स

अगर आप बीपीएससी परीक्षाओं की तैयारी करते है तो बिहार की अर्थव्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को जानकारी रखनी रखनी जरूरी है। बिहार  आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23( bihar Economic survey ) की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। बिहार के आर्थिक सर्वेक्षण के अति महत्वपूर्ण पहलू यहां  दिया जा रहा है।

 बिहार की अर्थव्यवस्था एक अवलोकन

बिहार की अर्थव्यवस्था ने 2021-22 में जोरदार वापसी की त्वरित अनुमान के अनुसार स्थिर मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 2020-21 के ( ) 3.2 प्रतिशत की तुलना में 10.98 प्रतिशत की जबर्दस्त वृद्धि हुई। वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय वृद्धि दर 8.68 प्रतिशत थी। 1.

2. बिहार देश का अपेक्षाकृत कम आय वाला राज्य है। त्वरित अनुमान के अनुसार, 2021-22 में राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 6,75,448 करोड़ रु. तथा 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 4,28,065 करोड़ रु. था। जबकि,  2021-22 में बिहार का निवल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 6, 14,431 करोड़ रु. और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 3,82,274 करोड़ रु. था। अतः, बिहार का प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 54,383 रु. और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 34,465 रुपया था।

3. प्राथमिक क्षेत्र के अंदर सकल राज्य घरेलू उत्पाद में सर्वाधिक योगदान करने वाले दो उप क्षेत्र ‘पशुधन’ और ‘मत्स्याखेट एवं जलकृषि’ हैं जिनकी वृद्धि दरें 2017-18 और 2021-22 के बीच क्रमश: 9.5 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत रही हैं। हालांकि ‘खनन एवं उत्खनन’ क्षेत्र में भी 90 प्रतिशत की उच्च दर से वृद्धि हुई है। द्वितीयक क्षेत्र में ‘विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य जनोपयोगी सेवाएं’ (ईजीडब्ल्यूयूएस) में 2017-18 और 2021-22 के बीच 14.5 प्रतिशत की उच्च दर से वृद्धि हुई। वहीं, 2017-18 और 2021-22 के बीच तृतीयक क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्र वायु परिवहन ( 10.5 प्रतिशत), भंडारण ( 21.3 प्रतिशत), वित्तीय सेवाएं (12.6 प्रतिशत) और लोक प्रशासन (9.3 प्रतिशत) थे।

4. सकल राज्य घरेलू उत्पाद में प्रमुख क्षेत्रों के हिस्से के लिहाज से देखें, तो 2021-22 में प्राथमिक क्षेत्र का हिस्सा 2020-21 के 21.4 प्रतिशत से थोड़ा घटकर 21.2 प्रतिशत रह गया। द्वितीयक क्षेत्र में भी थोड़ी गिरावट आई जो 2020-21 के 19.3 प्रतिशत से 2021-22 में 18.1 प्रतिशत रह गया। वहीं, 2020-21 और 2021-22 के बीच तृतीय क्षेत्र की भागीदारी 59.3% से बढ़कर 60.7% हो गया।

5. वर्ष 2020-21 में प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद के लिहाज से 38 जिलों की रैंकिंग में तीन सबसे समृद्ध जिले पटना (1,15,239 रु.), बेगूसराय (45,497 रु.) और मुंगेर (42,793 रु.) हैं। दूसरी ओर, तीन सबसे गरीब जिले शिवहर (18,692 रु.), अररिया (19,527 रु.) और सीतामढ़ी (20,631 रु.) हैं।

बिहार की राजकीय वित्तव्यवस्था

1. आर्थिक रूप से वापसी करने के कारण राज्य सरकार की राजकोषीय स्थिति 2021-22 में मजबूत हुई। जैसे, राज्य सरकार की राजस्व प्राप्ति 2021-22 में काफी बढ़ी। राज्य सरकार ने अपनी बढ़ी राजस्व प्राप्ति का उपयोग व्यय के बढ़े स्तर को समर्थन देने और राजस्व घाटा तथा राजकोषीय घाटा, दोनो में कमी लाने के लिए किया।

2. वर्ष 2021-22 में बिहार  सरकार का कुल व्यय 1.93 लाख करोड़ रुपए  था। इसमें से 1.59 लाख करोड़ रु. (82.4 प्रतिशत) राजस्व व्यय था और 0.34 लाख करोड़ रु. ( 17.6 प्रतिशत) पूंजीगत व्यय ।

 

3. वर्ष 2021-22 में सामान्य सेवाओं पर बिहार में राज्य के सरकर का व्यय 48,939 करोड़ रु. था। इसमें से 13,822 करोड़ रु. (28.2 प्रतिशत) ब्याज भुगतान था। वहीं, सामाजिक सेवाओं पर व्यय 76, 115 करोड़ रु. और आर्थिक सेवाओं पर व्यय 34,166 करोड़ रु. था। राज्य सरकार ने पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर अपना ध्यान बनाए रखा जो गत वर्ष से 29.4 प्रतिशत बढ़कर 2021-22 में 33,903 करोड़ रु. हो गया।

 

4. वर्ष 2021-22 में गत वर्ष की अपेक्षा राजस्व लेखे में प्राप्ति 23.9 प्रतिशत बढ़कर 1,58,797 करोड़ रु. हो गई जबकि इस लेखे में व्यय 14.1 प्रतिशत बढ़ा और 1,59,220 करोड़ रु. हो गया। इसके चलते राज्य सरकार अपना राजस्व घाटा 96.3 प्रतिशत घटाकर 2020-21 के 11,325 करोड़ रु. से महज 422 करोड़ रु. तक लाने में सफल रही।

 

5. राज्य सरकार ने 2021-22 में अपने स्रोतों से 38,839 करोड़ रु. राजस्व संग्रहित किया। इसमें से करों से संग्रहित राजस्व 34,855 करोड़ रु. ( 89.7 प्रतिशत) था और करेतर राजस्व 3984 करोड़ रु. (10.3 प्रतिशत ) ।

 

6. वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार से राज्य सरकार को होने वाला सकल वित्तीय अंतरण 1,29,486 करोड़ रु. था। इसमें से 91,353 करोड़ रु. केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से के बतौर प्राप्त हुए। केंद्र सरकार से राज्य को प्राप्त सहायता अनुदान 28,606 करोड़ रु. था जबकि 8527 करोड़ रु. ऋण के बतौर प्राप्त हुए थे।

 

7. वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार का प्राथमिक घाटा 2020-21 के 17,344 करोड़ रु. से घटकर 11,729 करोड़ रु. रह गया। इसी प्रकार, राज्य सरकार का राजकोषीय घाटा 2020-21 में 29,828 करोड़ रु. था जो 2021-22 में 25,551 करोड़ रु. रह गया। घाटे में यह कमी महामारी के कारण चुनौतीपूर्ण वर्ष 2020-21 की तुलना में 2021-22 में राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति में सुधार का संकेत देती है।

 

8. वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार का सकल ऋण ग्रहण 40,445 करोड़ रु. था। वहीं, 2021-22 के अंत में राज्य सरकार पर कुल बकाया ऋण 2,57,510 करोड़ रु. था। उस वर्ष राज्य सरकार द्वारा ब्याज भुगतान 13,822 करोड़ रु. और पूंजीगत अदायगी 8746 करोड़ रु. थी।

 

बिहार आर्थिक सर्वेक्षण:  कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र

 

1. अपनी प्रचुर अग्रवर्ती और पृष्ठवर्ती कड़ियों के कारण कृषि का विकास बिहार की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गत पांच वर्षों (2017-18 से 2021-22) के दौरान कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र की वृद्धि दर लगभग 5 प्रतिशत थी। कुल मिलाकर 2020-21 में सकल राज्यगत मूल्यवर्धन (जीएसवीए) में इस क्षेत्र का 20 प्रतिशत हिस्सा था। वर्ष 2021-22 में सकल राज्यगत मूल्यवर्धन में कृषि के उप-क्षेत्रों का योगदान इस प्रकार था फसल क्षेत्र 11.1 प्रतिशत, पशुधन 6.6 प्रतिशत, और मत्स्याखेट एवं जलकृषि 1.8 प्रतिशत।

 

2. वर्ष 2020-21 में बिहार में 2021-22 में राज्य में कुल शुद्ध बुआई क्षेत्र 50.5 प्रतिशत जबकि फसल सघनता 1.44 थी। वहीं, 181.0 लाख टन अनाजों का उत्पादन हुआ। गन्ना विभाग के अनुमान के

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