भारत के शास्त्रीय नृत्य, कलाकार और संबंधित राज्य

भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य

 

नृत्य का उद्भव अगर माना जाए तो प्रागैतिहासिक काल के समय माना जा सकता है, भारत में नृत्य पर लिखी सबसे प्राचीनतम पुस्तक भरतमुनि का नाट्यशास्त्र है। भारत में प्रमुख रूप से आठ शास्त्रीय नृत्यों को संगीत नाटक अकादमी द्वारा मान्यता प्रदान की गई हैं।

 

भरतनाट्यम

भरतनाट्यम दक्षिण भारत की प्रसिद्ध नृत्य शैली, जिसकी शुरुआत देवदासियों द्वारा की गई थी। यह मुख्य रूप से तमिलनाडु राज्य का नृत्य है। इसमें हाथ, पैर, मुख एवं शरीर को हिलाने के 64 नियम हैं।

 

मणिपुरी

मणिपुर राज्य का प्रसिद्ध धार्मिक नृत्य है, जो भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसमें ‘ढोल’ अर्थात् ‘पुंग’ का महत्वपूर्ण स्थान है। इस नृत्य शैली में राधा-कृष्ण की रासलीलाओं का आयोजन किया जाता है। इस नृत्य को लोकप्रिय बनाने में रबीन्द्रनाथ टैगोर की भूमिका महत्वपूर्ण थी।

कथकली

कथकली यह केरल का परिष्कृत नृत्य है। इसमें भाव भांगिमाओं का काफी महत्व है। इसमें रामायण, महाभारत एवं हिन्दू पौराणिक कथाओं से विषय लिए जाते हैं। इसमें देवताओं एवं राक्षसों से विभिन्न रूपों को दर्शाने के लिए मुखोटों का प्रयोग किया जाता है।

 

ओडिसी

यह ओडिशा का शास्त्रीय नृत्य है। इस शैली में नृत्यांगना मूर्ति के सामने नृत्य करती है।

 

कृचिपुड़ी

यह आन्ध्र प्रदेश का प्रसिद्ध नृत्य है। इसका उद्भव आन्ध्र प्रदेश के कुचेलपुरम नामक गाँव में हुआ था, इसमें लय और ताण्डव, नृत्य का भी समावेश होता है। यह नृत्य मुख्यत: पुरुषों द्वारा किया जाता है ।

 

मोहनीअट्टम

यह केरल का शास्त्रीय नृत्य है, जो देवदासी परम्परा में प्रचलित एकल नृत्य शैली है। इसका प्रथम उल्लेख 16वीं शताब्दी में माजहायंगतम नारायण नम्बूदरी द्वारा रचित. ‘व्यवहारमाला’ से प्राप्त होता है। .

 

सत्रीय

यह असम का शास्त्रीय नृत्य है, इसको प्रतिपादित करने का श्रेय असम के प्रसिद्ध वैष्णव सन्त शंकरदेव को है।

कत्थक

कत्थक’ शब्द का उद्भव कथा अथवा कहानी से हुआ है, जिसका उद्भव एवं विकास ब्रजभूमि की रासलीला से माना जाता है। पदचालन, चक्कर खाते हुए चलना तथा शरीर के चौकोर आकार में घूमने के बाद अचानक निश्चत होना इसकी विशेषता है इसमें धुपद, तराना, ठुमरी एवं गजलें ‘ शामिल होती हैं । “

 

पणिहारी नृत्य इस नृत्य में स्त्रियाँ सिर पर बड़ा गागर व उसके ऊपर छोटी-सी लोटी रखकर वृत्ताकार घूमते हुए नाचती हैं।

 

ताण्डव नृत्य यह भगवान शिव का नृत्य माना जाता है। इसका नाम उनके गण तण्डु के नाम पर पड़ा यह माना जाता है। ताण्डव नृत्य के दो भाग हैं – लास्य (कोमल रूप) तथा ताण्डव (रौद्र रूप ) । शिव के ताण्डव नृत्य को सृष्टि की उत्पति, पालन-पोषण तथा संहार का प्रतीक माना जाता है।

 

 

शास्त्रीय नृत्यसंबंधित राज्य
भरतनाट्यमतमिलनाडु
कुचीपुड़ी आंध्रप्रदेश
मोहिनीअट्टम केरल
कत्थकउत्तर प्रदेश
कथकली केरल
मणिपुरी मणिपुर
सत्रीय असम
ओड़िशीउड़ीसा
भारत के शास्त्रीय नृत्य की सूची